#devinasri#किस बात का डर है#डर तो पिंजरे में बंद है#poetry
31 Love
मेरे दुश्मन वैसे तो मेरे दुश्मन है ही नहीं
कहीं आपको मिले अगर तो
उनसे कह देना हम भी उन्हें
दिल से याद करते हैं मेरा प्यार
जो मैंने आपको दिया उन्हें दे देना।
मेरी दुआ सलाम उनके लिए उनसे कह देना।
मेरे दुश्मन वो दुश्मन है मेरे दुश्मन जो मन ही मन जलते हैं
हम भी कहां कम हैं उनके मन में जलकर ही तो
निखरते है आग लगी होती है उनके मन में उस
आग से हम कहां डरते हैं वो दुश्मन है तो क्या हुआ हम भी क्या कम है।
प्यार और फ़रेब प्यार है जहां वहां पर फरेब नहीं रहता
फरेब है जहां वहां प्यार नहीं रहता
सब साफ़ दिख तो रहा है। प्यार की जगह
दिल में होती है और फरेब की जगह दिल से दूर
बहुत दूर जिनका कोई तालमेल नहीं होता।
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