*मेरे बाद*
डाकखाना और स्टेट बैंक के बीच लगे
जामुन के पेड़ के नीचे देखा है मैने
उस साये को विचरण करते
बॉटनी लैब के पीछे लगे चीकू के पेड़ों को झंझोडती हुई
किसी अन्य मर्दाना आवाज़ के साथ
इंस्ट्रूमेंट विभाग में लगी भूकंपरोधी
लोहे की पत्तियों ने बचाया होगा मुझे
उसके जादुई प्रकोप से
या फिर
कंठस्थ हनुमान चालीसा ने
उस दिन एहसास हुआ मुझे
यहां किसी मादा प्रेत आत्मा का वास है
और फिर वो कूद पड़ी
छपाक से...
चुन्नी समेटते हुए
रिवर साइड पार्क से होकर
गर्ल्स हॉस्टल बैरियर तक...
उससे आगे जाना
हमें कभी अलॉउड नहीं हुआ।
-ईशू
©Isham singh