ज़िंदगी के रास्तों से, गुजरता हुआ एक पथिक हूं मैं।
उतार चढ़ाव में कभी संभला कभी फिसला, एक पथिक हूं मैं।
रास्तों को पार करता गया, एक पथिक हूं मैं।
अनजाने पथों से रिश्ते बनाने वाला, एक पथिक हूं मैं।
कभी कुछ दूर चल कर, रुक जाने वाला, एक पथिक हूं मैं।
रात्रि के सन्नाटेपन से डर जाने वाला, एक पथिक हूं मैं।
धीरज से आगे बढ़ने वाला, एक पथिक हूं मैं।
भोर को चहचहाहट से, आनंद पाने वाला एक पथिक हूं मैं।
कभी कभी रास्ते के धुंधलेपन से, मन को आशा देने वाला पथिक हूं मैं।
कभी यादों को याद करता हुआ, गुनगुनाने वाला एक पथिक हूं मैं।
कुछ दरिया, कुछ समंदर को पार का हौसला रखने वाला, पथिक हूं मैं।
रास्तों को कुछ देकर, आगे बढ़ने वाला एक पथिक हूं मैं।
रास्तों को रास्ता बताने वाला, एक पथिक हूं मैं।
रास्तों से बातें करता हुआ, एक वाचाल पथिक हूं मैं।
थक कर बैठ गया, विश्लेषण करने वाला, एक पथिक हूं मैं।
आलस्य से न रुकने वाला, एक पथिक हूं मैं।
मन के आवेगों के शोर से, एक कर्मण्य पथिक हूं मैं।
रास्तों के सत्य को समझता हुआ, एक सच्चा पथिक हूं मैं।
जिंदगी के रास्तों का नितगामी, एक पथिक हूं मैं।
लक्ष्य तक पहुंच कर, सब न्योछावर कर देने वाला, एक पथिक हूं मैं।
©Ajay Shrivastava
# एक_पथिक_हूं_मैं