धुआँ धुआँ सी कहीं हो न जाये ज़िन्दगी, इश्क़ की गुला | हिंदी शायरी

"धुआँ धुआँ सी कहीं हो न जाये ज़िन्दगी, इश्क़ की गुलामी से जैसे रिहा हुआ सच कह रहा सिगरेट की धुआँ उडा रहा रोज रोज वेवजह टोक दिया करती थी आज जी भरके सारे नशे में डूब रहा ©Aatish Safar"

 धुआँ धुआँ सी कहीं हो न जाये ज़िन्दगी, इश्क़ की गुलामी से जैसे रिहा हुआ 
सच कह रहा सिगरेट की धुआँ उडा रहा 
रोज रोज वेवजह टोक दिया करती थी 
आज जी भरके सारे नशे में डूब रहा

©Aatish Safar

धुआँ धुआँ सी कहीं हो न जाये ज़िन्दगी, इश्क़ की गुलामी से जैसे रिहा हुआ सच कह रहा सिगरेट की धुआँ उडा रहा रोज रोज वेवजह टोक दिया करती थी आज जी भरके सारे नशे में डूब रहा ©Aatish Safar

#smokingkills

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