White भाग अभागे रुठे हैं ,
साँसों की रुसवाई में ।
चाह शिथिल पड़ती जाती है ,
ख्वाबों की सुर्ख़ लड़ाई में ।
मन में अँधेरा होता है ,
दीमक यादों में लग जाते हैं ।
लाखों गाँठे जब पड़ जाती हैं ,
जीवन की साफ बुनाई में ।
टिके रहे फ़िर भी गर तुम ,
हार न तुमने मानी है ।
तो समझो अब सही समय है ,
गंगा पृथ्वी पर आनी हैं ।
हर कतरा रक्त बहा है जो ,
वो अपना रंग दिखायेगा ।
आँसू से सींचा भाग्य अगर ,
तो वो मोती बन जायेगा ।
इन्तज़ार का हर पल ,
स्वयं पर उपकार लगेगा ।
यातना लगने वाला जीवन ,
ईश्वर का उपहार लगेगा ।
याद रखो तुम हो विशिष्ट ,
मन पर गर अधिकार किया ।
हार नहीं है तब तक ,
जब तक ना स्वीकार किया ।
स्वप्न उसी का सच होता है ,
जो रातों में जगता है ।
पत्थर को सोना होने में ,
वक़्त तो लगता है ।
©Anshul Singh
हिंदी कविता@हौसला