Anshul Singh

Anshul Singh Lives in Delhi, Delhi, India

I am an artist at living ,My work of art is my life...

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White भाग अभागे रुठे हैं , साँसों की रुसवाई में । चाह शिथिल पड़ती जाती है , ख्वाबों की सुर्ख़ लड़ाई में । मन में अँधेरा होता है , दीमक यादों में लग जाते हैं । लाखों गाँठे जब पड़ जाती हैं , जीवन की साफ बुनाई में । टिके रहे फ़िर भी गर तुम , हार न तुमने मानी है । तो समझो अब सही समय है , गंगा पृथ्वी पर आनी हैं । हर कतरा रक्त बहा है जो , वो अपना रंग दिखायेगा । आँसू से सींचा भाग्य अगर , तो वो मोती बन जायेगा । इन्तज़ार का हर पल , स्वयं पर उपकार लगेगा । यातना लगने वाला जीवन , ईश्वर का उपहार लगेगा । याद रखो तुम हो विशिष्ट , मन पर गर अधिकार किया । हार नहीं है तब तक , जब तक ना स्वीकार किया । स्वप्न उसी का सच होता है , जो रातों में जगता है । पत्थर को सोना होने में , वक़्त तो लगता है । ©Anshul Singh

#कविता  White भाग अभागे रुठे हैं ,

साँसों की रुसवाई में ।

चाह शिथिल पड़ती जाती है ,

ख्वाबों की सुर्ख़ लड़ाई में ।

मन में अँधेरा होता है ,

दीमक यादों में लग जाते हैं ।

लाखों गाँठे जब पड़ जाती हैं ,

जीवन की साफ बुनाई में ।

टिके रहे फ़िर भी गर तुम ,

हार न तुमने मानी है ।

तो समझो अब सही समय है ,

गंगा पृथ्वी पर आनी हैं ।

हर कतरा रक्त बहा है जो ,

वो अपना रंग दिखायेगा ।

आँसू से सींचा भाग्य अगर ,

तो वो मोती बन जायेगा ।

इन्तज़ार का हर पल ,

स्वयं पर उपकार लगेगा ।

यातना लगने वाला जीवन ,

ईश्वर का उपहार लगेगा ।

याद रखो तुम हो विशिष्ट ,

मन पर गर अधिकार किया ।

हार नहीं है तब तक ,

जब तक ना स्वीकार किया ।

स्वप्न उसी का सच होता है ,

जो रातों में जगता है ।

पत्थर को सोना होने में ,

वक़्त तो लगता है ।

©Anshul Singh

हिंदी कविता@हौसला

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#कविता #LockdownStories #Memories #ghar

#OpenPoetry है रण दुर्दम्य , योद्धा प्रवीण , अद्भुत शर से सज्जित तुरीण । क्षत-विक्षत शव हैं पटे पड़े , मस्तक वीरों के कटे पड़े , कितनों पर मैंने वार किया , कितनों का संहार किया । हे माधव ! इस धर्म युद्ध में मैंने अबतक , धर्म पताका लहराई है , युक्ति से मैंने युद्ध किया है , शौर्य से विजय पायी है । पर एक निहत्थे योद्धा पर , बोलो कैसे मैं प्रहार करूँ , जो रत है अपने रथ में अब , उसका कैसे संहार करूँ । क्या अर्जुन का बल क्षीण हुआ , या आत्मबल संकीर्ण हुआ , जो एक असहाय वीर पर , मैं अपनी शक्ति दिखलाऊँगा । विजय भी हो जाए माधव , मैं कायर ही कहलाऊँगा । हे भगवन ! तुमने ही तो मुझको , धर्म मार्ग बतलाया था , अपने सामर्थ्य पर विश्वास करूँ , ये पाठ मुझे सिखलाया था । अब तुम ही मुझको धर्म से , विरत कैसे कर सकते हो , एक शस्त्रहीन पर शस्त्र उठाऊँ , ये कैसे कह सकते हो ? बोलो ना माधव चुप क्यों हो , शंका का समाधान करो , अंधकार में डूब रहा , आलोकित मेरे प्राण करो ।

#अर्जुनकृष्णसंवाद #कर्णवध #कविता #व्यथा #OpenPoetry  #OpenPoetry  है रण दुर्दम्य ,
                योद्धा प्रवीण ,
               अद्भुत शर से सज्जित तुरीण ।
               क्षत-विक्षत शव हैं पटे पड़े ,
               मस्तक वीरों के कटे पड़े ,
               कितनों पर मैंने वार किया ,
               कितनों का संहार किया ।
हे माधव ! इस धर्म युद्ध में मैंने अबतक ,
               धर्म पताका लहराई है ,
               युक्ति से मैंने युद्ध किया है ,
               शौर्य से विजय पायी है ।
               पर एक निहत्थे योद्धा पर ,
               बोलो कैसे मैं प्रहार करूँ ,
               जो रत है अपने रथ में अब ,
               उसका कैसे संहार करूँ ।
               क्या अर्जुन का बल क्षीण हुआ ,
               या आत्मबल संकीर्ण हुआ ,
               जो एक असहाय वीर पर ,
               मैं अपनी शक्ति दिखलाऊँगा ।
               विजय भी हो जाए माधव ,
               मैं कायर ही कहलाऊँगा ।
हे भगवन ! तुमने ही तो मुझको ,
                 धर्म मार्ग बतलाया था ,
                 अपने सामर्थ्य पर विश्वास करूँ ,
                 ये पाठ मुझे सिखलाया था ।
                 अब तुम ही मुझको धर्म से ,
                 विरत कैसे कर सकते हो ,
                 एक शस्त्रहीन पर शस्त्र उठाऊँ ,
                 ये कैसे कह सकते हो ?
                 बोलो ना माधव चुप क्यों हो ,
                 शंका का समाधान करो ,
                 अंधकार में  डूब रहा ,
                 आलोकित मेरे प्राण करो ।

मसला ये है कि कोई मसला नहीं है , वक़्त अभी हाथों से फिसला नहीं है । जो न कभी गिरा न सम्भला न डगमगाया है , समझो वो सफर पर निकला ही नहीं है ।

#Nozoto #safar  मसला ये है कि कोई मसला नहीं है ,
वक़्त अभी हाथों से फिसला नहीं है ।
जो न कभी गिरा न सम्भला न डगमगाया है ,
समझो वो सफर पर निकला ही नहीं है ।
#लम्हें2018 #Throwback2018 #Nojoto2018

Anshul Singh's Stories in 2018 #Throwback2018 Anshul Singh की कहानियाँ 2018 में #लम्हें2018 #Nojoto2018

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लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा , हर नदी मिल के यूँही गुम हो जाती है , चाहतों से लिपटा पड़ा है मन मेरा , हर रात जगकर कुछ सपने देखता हूँ , तुमने कभी देखा है वो रातों का मंज़र मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । आँसुओ को मैं ज्यादा तरजीह नहीं देता , कुछ बूँद ख़्वाहिशों की निकल जाती है , ये राहें काँटो से भरी कुछ गालियाँ हैं , तभी मेरे पैरों से बहता है लहू मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । यूँ ही खुद से लड़कर बना हूँ मैं काफ़िर , फिर भी ज़िंदगी की समझ रखता हूँ , हर रोज़ जहाँ सुकूँ के लिए आता हूँ , वो भी किराये पे ही है घर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । राहें तो पहले से अंजान थी मेरी , अब तो मंज़िल भी बेखबर लगती है , तुम्हारे साये में पनाह चाही थी , देखो क्या कर दिया तुमने हशर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ।

#Astitva #Nozoto  लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ,
हर नदी मिल के यूँही गुम हो जाती है ,
चाहतों से लिपटा पड़ा है मन मेरा ,
हर रात जगकर कुछ सपने देखता हूँ ,
तुमने कभी देखा है वो रातों का मंज़र मेरा ,
लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ।
आँसुओ को मैं ज्यादा तरजीह नहीं देता ,
कुछ बूँद ख़्वाहिशों की निकल जाती है ,
ये राहें काँटो से भरी कुछ गालियाँ हैं ,
तभी मेरे पैरों से बहता है लहू मेरा ,
लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ।
यूँ ही खुद से लड़कर बना हूँ मैं काफ़िर ,
फिर भी ज़िंदगी की समझ रखता हूँ ,
हर रोज़ जहाँ सुकूँ के लिए आता हूँ  ,
वो भी किराये पे ही है घर मेरा ,
लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ।
राहें तो पहले से अंजान थी मेरी ,
अब तो मंज़िल भी बेखबर लगती है ,
तुम्हारे साये में पनाह चाही थी ,
देखो क्या कर दिया तुमने हशर मेरा ,
लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा ।

काफ़िर #Astitva#Nozoto

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