रुक जाते कराता अपने गाँव की सहर से मुलाकात तुम्हार | हिंदी शायरी

"रुक जाते कराता अपने गाँव की सहर से मुलाकात तुम्हारी कि कुछ चीजें जमीं पर भी है _ जन्नती अरुण प्रधान ©Arun pradhan"

 रुक जाते कराता अपने गाँव की सहर से मुलाकात तुम्हारी
कि कुछ चीजें जमीं पर भी है _ जन्नती



अरुण प्रधान

©Arun pradhan

रुक जाते कराता अपने गाँव की सहर से मुलाकात तुम्हारी कि कुछ चीजें जमीं पर भी है _ जन्नती अरुण प्रधान ©Arun pradhan

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