"#उम्मीद के बादल कैसे न फूटते हमारे
हमने उनके #भरोसे को अपनी #ताकत जो बना रखा था
पूरे गाँव को शक था कि हम मोहब्बत में मशरूफ है
न जाने किस मौसम ने उस हवा को अपने सर चढा रखा था
!
#आपका_चूहा"
#उम्मीद के बादल कैसे न फूटते हमारे
हमने उनके #भरोसे को अपनी #ताकत जो बना रखा था
पूरे गाँव को शक था कि हम मोहब्बत में मशरूफ है
न जाने किस मौसम ने उस हवा को अपने सर चढा रखा था
!
#आपका_चूहा