महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब यानी के जो भी | हिंदी Poetry

"महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है . ©Tammar Naqvi Rizwan"

 महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब 
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है









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©Tammar Naqvi Rizwan

महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है . ©Tammar Naqvi Rizwan

महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है

محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب
یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے
रिज़वान हैदर

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