महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है
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©Tammar Naqvi Rizwan
महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है
محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب
یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے
रिज़वान हैदर