महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है
محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب
یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے
रिज़वान हैदर
मत पूछ दोस्त आज बहुत दिल उदास है
ख़ामोश हुस्न ए यार है महफिल उदास है
مت پوچھ دوست آج بہت دل اُداس ہے
خاموش حسنِ یار ہے محفل اُداس ہے
मक़तूल ने मदद की किसी को सदा न दी
ये बात सोच सोच के क़ातिल उदास है
इक तो मैं ,मैं न रहा वो भी गया हाथों से,
इश्क़ ने यार लिए मुझ से भी हरजाने दो !!
اِک تو میں ،میں نہ رہا وہ بھی گیا ہاتھوں سے،
عشق نے یار لیے مُجھ سے بھی ہرجانے دو !!
बाद में लूँगा मैं हर ज़ुल्म का बदला तुम से,
पहले अफ़लाक से ईसा को उतर आने दो !!
بعد میں لونگا میں ہر ظلم کا بدلا تم سے،
پہلے افلاک سےعیسیٰ کو اُتر آنے دو !!
मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है
.
तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है
میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے
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