मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है वो ये कहता | हिंदी Poetry

"मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے تشنہ لب بھی ہوں پریشان بھی یہ سوچ کہ ہوں ڈوبنے بھی مجھے دریا کی طرف جانا ہے ~ रिज़वान हैदर. . ©Tammar Naqvi Rizwan"

 मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है 
तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ 
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है 

میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے 
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے 
تشنہ لب بھی ہوں پریشان بھی یہ سوچ کہ ہوں 
ڈوبنے بھی مجھے دریا کی طرف جانا ہے 
~ रिज़वान हैदर.                                                                                                   



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©Tammar Naqvi Rizwan

मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے تشنہ لب بھی ہوں پریشان بھی یہ سوچ کہ ہوں ڈوبنے بھی مجھے دریا کی طرف جانا ہے ~ रिज़वान हैदर. . ©Tammar Naqvi Rizwan

मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है
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तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है
میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے

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