बात बताएं आपसे हम हाथ मलते रह गए गीत सूखे पर लिखे थे बाढ़ में सब बह गए भूख
महंगाई गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं थी एक
होती तो निभाता तीनों मुझपर मर रही थी
मच्छर खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे
रात को कुछ चोर आए सोचकर चकरा गए
हर तरफ चूहे ही चूहे देखकर घबरा गए...
-हुल्लड़ मुरादाबादी
©VED PRAKASH 73
#उस्तरा