विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है, कभी कभी कितना | हिंदी Poetry

"विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है, कभी कभी कितना विस्तृत ये मन का आकाश होता है। ©Ritu shrivastava"

 विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है,
कभी कभी कितना विस्तृत ये मन का आकाश होता है।

©Ritu shrivastava

विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है, कभी कभी कितना विस्तृत ये मन का आकाश होता है। ©Ritu shrivastava

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