गांव अब गांव नही रहे ,शाहर हो गए।।
वक्त के साथ-साथ कितने हेरफेर हो गए ।।
यू ही गुजर रही हैं जिंदगी कुछ मोड़ तो आये,
जो बीत गए बचपन के पल काश वो लौट आये।।
silent word not tel any shyari & any poem.
अरुण राजपूत की कलम से///
©ARUN KUMAR
I miss childhood
#evening