बड़ी सहजता से
कर लेती है ध्यान
आध्यात्मिक केंद्र चलाती
वो कुमारी...
जो मुझे विचलित करती है
सफेद कपड़े रमे तन में
तेज सी
यही उम्र कोई 24-25
इन सालों में भला कौन ध्यान करता है
पूरी जिंदगी पड़ी है
इस वैराग्य के लिए
ऐज की बढ़त में करना ही क्या है
मेरे कमरे के सामने से
हंसती-हिलोरती गुज़रती
फ़ोन पर बात करती
जैसे सही रेंज यहीं आती है
इतना तेज
माथे के केंद्र में मनन करने से होता होगा
सबसे भयावह स्थिति है यह
आदमी के लिए
कि एक औरत
खुद को औरत नही समझती।।
-ईशु
©Isham singh
#WalkingInWoods