Daughter एक बात बोलूं
आज के दौर मे
ना बाप जनक है
ना बेटी जानकी
ना बाप के पास बेटी को
संस्कार देने का वक्त है
और ना बेटी के
पास ससुराल सजाने का हुनर
भले बाप के सिर पे लग जाए
बेटी का किसी बेटी (मां) का
बसा बसाया घर उजाड़ने का दाग
ना बेटी को सम्मान जाने का डर
ना बाप को मान खोने का भय
अब ये ना सोचना कोई
एक बेटी हो के कैसे
एक बाप बेटी के खिलाफ लिख दी
©প্রতিভা চৌধুরী (PC)
बेटी