Daughter एक बात बोलूं आज के दौर मे ना बाप जनक है | हिंदी कविता

"Daughter एक बात बोलूं आज के दौर मे ना बाप जनक है ना बेटी जानकी ना बाप के पास बेटी को संस्कार देने का वक्त है और ना बेटी के पास ससुराल सजाने का हुनर भले बाप के सिर पे लग जाए बेटी का किसी बेटी (मां) का बसा बसाया घर उजाड़ने का दाग ना बेटी को सम्मान जाने का डर ना बाप को मान खोने का भय अब ये ना सोचना कोई एक बेटी हो के कैसे एक बाप बेटी के खिलाफ लिख दी ©প্রতিভা চৌধুরী (PC)"

 Daughter   एक बात बोलूं
आज के दौर मे
ना बाप जनक है
ना बेटी जानकी

ना बाप के पास बेटी को 
संस्कार देने का वक्त है
और ना बेटी के 
पास ससुराल सजाने का हुनर

भले बाप के सिर पे लग जाए
बेटी का किसी बेटी (मां) का
बसा बसाया घर उजाड़ने का दाग

ना बेटी को सम्मान जाने का डर
ना बाप को मान खोने का भय

अब ये ना सोचना कोई
एक बेटी हो के कैसे
एक बाप बेटी के खिलाफ लिख दी

©প্রতিভা চৌধুরী (PC)

Daughter एक बात बोलूं आज के दौर मे ना बाप जनक है ना बेटी जानकी ना बाप के पास बेटी को संस्कार देने का वक्त है और ना बेटी के पास ससुराल सजाने का हुनर भले बाप के सिर पे लग जाए बेटी का किसी बेटी (मां) का बसा बसाया घर उजाड़ने का दाग ना बेटी को सम्मान जाने का डर ना बाप को मान खोने का भय अब ये ना सोचना कोई एक बेटी हो के कैसे एक बाप बेटी के खिलाफ लिख दी ©প্রতিভা চৌধুরী (PC)

बेटी

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