उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, वासी या प्रवासी हो । हि | हिंदी शायरी

"उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, वासी या प्रवासी हो । हिंदी उन्नति के पथ पर बस, अपने सतत् प्रयासी हों । संस्थानों का मुंह न देखे, ना अभियानों का आसी हो । हर भारत का बेटा केवल, मां हिन्दी का भाषी हो । ©अचल कुमार सिंह"

 उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, वासी या प्रवासी हो ।
हिंदी उन्नति के पथ पर बस, अपने सतत् प्रयासी हों । 
संस्थानों का मुंह न देखे, ना अभियानों का आसी हो ।
हर भारत का बेटा केवल, मां हिन्दी का भाषी हो ।

©अचल कुमार सिंह

उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, वासी या प्रवासी हो । हिंदी उन्नति के पथ पर बस, अपने सतत् प्रयासी हों । संस्थानों का मुंह न देखे, ना अभियानों का आसी हो । हर भारत का बेटा केवल, मां हिन्दी का भाषी हो । ©अचल कुमार सिंह

#मेरी_कविता

#Hindidiwas

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