जब भी गुजरता हूं तेरी गली से, एक पंछी कूका करता है
"जब भी गुजरता हूं तेरी गली से, एक पंछी कूका करता है,
साफ सुथरी सड़कों पे, कोई जाहिल थूका करता है,
सोचता हूं इनके हश्र में, कहीं तेरा तो कुछ हाथ नहीं,
एक गुलाब लिए फिरने वाला, अब सिगरेट फूंका करता है।
- Yashpal Parashar"
जब भी गुजरता हूं तेरी गली से, एक पंछी कूका करता है,
साफ सुथरी सड़कों पे, कोई जाहिल थूका करता है,
सोचता हूं इनके हश्र में, कहीं तेरा तो कुछ हाथ नहीं,
एक गुलाब लिए फिरने वाला, अब सिगरेट फूंका करता है।
- Yashpal Parashar