सब कुछ तो था ज़िन्दगी में
मगर न जाने वह क्या थी
जिसकी कमी हरपल सताती थी
सबकुछ होने के बावजूद भी
उदासी हरपल अपना डेरा डाले
रहती थी...................
मन में ख़ुशी तो थी.......
मगर आँखो में उसकी चमक नहीं थी
मुस्कुराने की वजह तो थी......
मगर मन में शांति नहीं थी
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आज तुमसे मिलने के वाद पता चला....
इन आँखो को कबसे तुम्हारी तलाश थी
ये मन कब से तुम्हारे लिए हीं बेचैन थी
हर पल हर घड़ी तुम्हारी तलाश थी
हाँ सिर्फ तुम्हारी तलाश थी
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©Writer Pompy Sutradhar