शहरे अब गांव की गलियां ढूंढ रही है, मुसाफिर अब अपन | हिंदी Shayari

"शहरे अब गांव की गलियां ढूंढ रही है, मुसाफिर अब अपने गांव की झोपड़ियां ढूंढ रही हैं, खुशबू है जो गांव की मिट्टी में उसे शहर की आबोहवा भी ढूंढ रही है।"

 शहरे अब गांव की गलियां ढूंढ रही है,
मुसाफिर अब अपने गांव की झोपड़ियां ढूंढ रही हैं,
खुशबू है जो गांव की मिट्टी में उसे शहर की आबोहवा भी ढूंढ रही है।

शहरे अब गांव की गलियां ढूंढ रही है, मुसाफिर अब अपने गांव की झोपड़ियां ढूंढ रही हैं, खुशबू है जो गांव की मिट्टी में उसे शहर की आबोहवा भी ढूंढ रही है।

#alone

People who shared love close

More like this

Trending Topic