कुछ इस तरह से हमने उसको,
इस ज़िंदगी से आज़ाद कर दिया........
वो मुस्कुराती रहे इसकी खातिर,
खुद को पूरी तरह बर्बाद कर दिया......
और फ़िर अपने गीत-ग़ज़लों से,
कुछ ऐसे छाप छोड़ी है महफ़िलों में.....
हमने दास्तान-ए-मोहब्बत सुनाकर,
आशिकों का शहर आबाद कर दिया....
©Poet Maddy
कुछ इस तरह से हमने उसको,
इस ज़िंदगी से आज़ाद कर दिया........
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