तू मेरे आंगन की तुलसी बन जा , मैं तेरे लिए गुलाब ब | हिंदी कविता

"तू मेरे आंगन की तुलसी बन जा , मैं तेरे लिए गुलाब बन जाऊंगा उगते हुए सूर्य की लालिमा में , खुशियों से खिल जाऊंगा तुम मुझे पावन हवा देना, मैं तुझे मेरी कलियों की महक दे दूंगा तू मेरे लिए राखी बन जा , मैं तेरे लिए हाथ की कलाई बन जाऊंगा ©Vishal Prajapat"

 तू मेरे आंगन की तुलसी बन जा , मैं तेरे लिए गुलाब बन जाऊंगा
उगते हुए सूर्य की लालिमा में , खुशियों से खिल जाऊंगा 
तुम मुझे पावन हवा देना, मैं तुझे मेरी कलियों की महक दे दूंगा
 तू मेरे लिए राखी बन जा , मैं तेरे लिए हाथ की कलाई बन जाऊंगा

©Vishal Prajapat

तू मेरे आंगन की तुलसी बन जा , मैं तेरे लिए गुलाब बन जाऊंगा उगते हुए सूर्य की लालिमा में , खुशियों से खिल जाऊंगा तुम मुझे पावन हवा देना, मैं तुझे मेरी कलियों की महक दे दूंगा तू मेरे लिए राखी बन जा , मैं तेरे लिए हाथ की कलाई बन जाऊंगा ©Vishal Prajapat

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