वो दिन भी कितना हसिन था जब लोग एक चिट्ठी के लिए म | हिंदी विचार

"वो दिन भी कितना हसिन था जब लोग एक चिट्ठी के लिए महिनों इंतजार कर लेते थे और आज का दिन है कि मोबाइल रहते हुए भी थोरी सी देरी भी बरदास्त नही होता ©Rinku Kumaar"

 वो दिन भी कितना हसिन था 
जब लोग एक चिट्ठी के लिए
महिनों इंतजार कर लेते थे
और आज का दिन है कि मोबाइल रहते हुए 
भी थोरी सी देरी भी 
बरदास्त नही होता

©Rinku Kumaar

वो दिन भी कितना हसिन था जब लोग एक चिट्ठी के लिए महिनों इंतजार कर लेते थे और आज का दिन है कि मोबाइल रहते हुए भी थोरी सी देरी भी बरदास्त नही होता ©Rinku Kumaar

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