White ये बादलों की गड़गड़ाहट और पंछियों की सुगबुगाहट | हिंदी कविता

"White ये बादलों की गड़गड़ाहट और पंछियों की सुगबुगाहट कुछ भी नहीं बदला,सब वैसा का वैसा ही है कुछ भी नहीं बदला, हाँ कुछ बदला है,तो वो हो तुम चिड़िया,नदी,पेड़ पौधे सब वैसे ही हैं,मौसम भी मिलने आता जाता है सब कुछ वही का वही है, हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम कुदरत ने भी स्वभाव नहीं बदला,न बदला पत्थरों ने अपना अस्तित्व सब कुछ स्थिर है सब कुछ वही का वही है कुछ भी नहीं बदला,हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम..... ©Richa Dhar"

 White ये बादलों की गड़गड़ाहट और पंछियों की सुगबुगाहट
कुछ भी नहीं बदला,सब वैसा का वैसा ही है
कुछ भी नहीं बदला, हाँ कुछ बदला है,तो वो हो तुम
चिड़िया,नदी,पेड़ पौधे सब वैसे ही हैं,मौसम भी मिलने आता जाता है
सब कुछ वही का वही है, हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम
कुदरत ने भी स्वभाव नहीं बदला,न बदला पत्थरों ने अपना अस्तित्व
सब कुछ स्थिर है सब कुछ वही का वही है
कुछ भी नहीं  बदला,हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम.....

©Richa Dhar

White ये बादलों की गड़गड़ाहट और पंछियों की सुगबुगाहट कुछ भी नहीं बदला,सब वैसा का वैसा ही है कुछ भी नहीं बदला, हाँ कुछ बदला है,तो वो हो तुम चिड़िया,नदी,पेड़ पौधे सब वैसे ही हैं,मौसम भी मिलने आता जाता है सब कुछ वही का वही है, हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम कुदरत ने भी स्वभाव नहीं बदला,न बदला पत्थरों ने अपना अस्तित्व सब कुछ स्थिर है सब कुछ वही का वही है कुछ भी नहीं बदला,हाँ कुछ बदला है तो वो हो तुम..... ©Richa Dhar

#sad_shayari बदले हो तो तुम

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