कैसी खुशी
ये मुस्कुराहट जिसने दिया
बदले उसने आँसू ही लिया
हक था उसे कुछ कहने का हमे
मेरी खुशी के लिए गम ही लिया ।
मंदिर मस्जिद से गुजर सही
खुदा को मैन देखा ही नही
उसको जो पाया ऐसा लगा
मेरा ख़ुदा और खुदाई यही ।
एक पल की बाते में सपना देखा
हर मुस्कुराहट पर उसका ही रेखा
उसका खुशी गम में न बदले
बना दे खुदा अब ऐसा ही रेखा ।
कैसी खुशी ।