कैसी खुशी
ये मुस्कुराहट जिसने दिया
बदले उसने आँसू ही लिया
हक था उसे कुछ कहने का हमे
मेरी खुशी के लिए गम ही लिया ।
मंदिर मस्जिद से गुजर सही
खुदा को मैन देखा ही नही
उसको जो पाया ऐसा लगा
मेरा ख़ुदा और खुदाई यही ।
एक पल की बाते में सपना देखा
हर मुस्कुराहट पर उसका ही रेखा
उसका खुशी गम में न बदले
बना दे खुदा अब ऐसा ही रेखा ।
प्यार की खुशी
हमेशा तू छाव बनकर के रहती
वृक्षो की हमको जरूरत न होती
यदि धूप में मैं जल जाऊ तो
तू वर्षा बनकर बरसती तो होती।
तुझ देख कर मुझ को ऐसा लगा
जैसे जमीं पर असमा आ गया
खुशी का ठिकाना न मुझ में रहा
तुझे पाकर मैं पागल हो गया
खुशी की तलाश में गम न मिले
पी न सकूँगा वो जल न मिले
जीना मरना सब तेरे ही संग
अकेले मुझको स्वर्ग भी न मिले ।
मेरे मन के दर्पण में तुही सदा
बदलने से न बदलता अदा
कुछ भी करु मैं योगी भी बने मैं
हटता न चेहरा तेरा मन से सदा ।
कवि शिव शक्ति कुमार
दर्द में भी तू
ना तुम से शिकायत है
तेरा मेरा बस आहत है
कैसे बताऊ तुझ को मैं
तु मेरे लिए एक चाहत है
तेरे इश्क़ मैं लूट गया
हर गम को मैं भूल गया
आज मेरे तु पास तो आ
हर रिश्ता मेरा छूट गया
ऐसा प्यार मेरा
उसने मुझे जो कुछ दिया
बदले में वो कुछ न लिया
ऐसा मेरा प्यार है हाँऐसा मेरा प्यार है।
मुझसे वो दूर होती गई
शिकवा शिकायत भूल ही गई।
ऐसा मेरा प्यार है हाँ ऐसा मेरा प्यार है
जख्म उसे मैं देता गया
बदले में वो कुछ न किया
ऐसा मेरा पयार है हाँ ऐसा मेरा प्यार है
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