" इंतज़ार "
कहने को ख़्वाब रातों में ख़ूब आते है , कमबख्त सच हो ज़रूरी तो नही।
मशक्कत थोड़ी होगी ज़रूर , हर बार सच कहना जरूरी नही ।।
कर लिया "इंतजार" सच में ज़रूर , चले आओ अभी ये ज़रूरी तो नही।
बस कह दो ! तुम मेरे हो , हकीकत होना अभी ज़रूरी नही ।।
बीत जायेगा ये वक्त भी , हर वक्त खुश मिजाज़ होना भी ज़रूरी तो नही।
फिर आयेगा खिलखिला कर सवेरा , हर एक रात आमवस होना जरूरी नही ।।
होती है चार दिन की चांदनी , फिर क्या अंधेरी रात होना ज़रूरी तो नही।
मिलेंगे बस कुछ ही दिनों में ज़रूर , हर वक्त साथ होना ज़रूरी तो नहीं ।।
-🖋️ विj_kuश
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©विj
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