आंखें एक अजीब दास्तान है,
खुली हो तो धोका, बंद हो तो ख्वाब,
खोल कर देखू तो मेहदूत (बद किस्मत)
बंद हो तो अनमोल
हमे छूने पर यकीन....
देखने पर भरोसा....
और सुनने पर ईमान ....
भूल गए एहसास को
जो कभी छूकर भी नहीं छुआ
सब देख कर भी नहीं दिखा
और सूंघ कर भी नहीं समझा
तो महसूस करना शुकुरगुजारी..........
ये है असल बादशा जीने का राज
तो शुक्र करो उस लम्हे का जो जी लिया,
शुक्र करो उस एहसास का जो महसूस हुआ,
और शुक्र करो उस शख्स का जो खुली आंख ना देख पाई
लेकिन साथ हमेशा साथ रहा,
तो ये जान लो वो जिंदा है, वो जिंदा है, वो जिंदा है
वो शख्स तुम भी हो और वो शख्स तुम ही हो
©Neerav Nishani
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