कोई बात समझाने मे कमी रह गई,
मैं उसको देखता वो मुझको देखती रह गई...
इक उम्र की हयात का है ये वजीफा अपना,
चंद पन्नों मे कुछ अधूरी सी शायरी रह गई...
निकल आओ अपने अंदर से के शब हो चली,
चाँद तन्हा हो जैसे के गोया फकत चाँदनी रह गई...
©Saif Azam
#walkalone