खुश मिज़ाज़ रहना उसकी अपनी मौज़ थी वैज्ञानिक दृष्टिको | हिंदी कविता

"खुश मिज़ाज़ रहना उसकी अपनी मौज़ थी वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली उसकी सोच थी मोह ले जो हृदय को उसमें वो गुरुत्व था चाँद की धरा पर उसका भी प्रभुत्व था अपने दर्शकों से पवित्र रिश्ता जोड़कर उम्मीद न थी यूँ चला जाएगा छोड़कर कर गया सबके दिलों को जो अशांत था वो सुशांत था।"

 खुश मिज़ाज़ रहना उसकी अपनी मौज़ थी
वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली उसकी सोच थी
मोह ले जो हृदय को उसमें वो गुरुत्व था
चाँद की धरा पर उसका भी प्रभुत्व था
अपने दर्शकों से पवित्र रिश्ता जोड़कर
उम्मीद न थी यूँ चला जाएगा छोड़कर
कर गया सबके दिलों को जो अशांत था

वो सुशांत था।

खुश मिज़ाज़ रहना उसकी अपनी मौज़ थी वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली उसकी सोच थी मोह ले जो हृदय को उसमें वो गुरुत्व था चाँद की धरा पर उसका भी प्रभुत्व था अपने दर्शकों से पवित्र रिश्ता जोड़कर उम्मीद न थी यूँ चला जाएगा छोड़कर कर गया सबके दिलों को जो अशांत था वो सुशांत था।

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