"ख्वाब या हकीकत"
मैंने देखा सब लोग खुशियाँ मना रहे थे,
एक दुसरे को गले लगा रहे थे,
जब कोई परेशानी में होता तो उसे उससे इजात दिला रहे थे,
सब पेड़ लगा रहे थे,
पशुओं को बचा रहे थे,
मुश्किल की घड़ी में भी मुस्कुरा रहे थे,
खुद खाते और भूखों को भी खिला रहे थे,
मेरे भारत में मानो सब रोज त्यौहार मना रहे थे,
लेकिन जब आँखें खुली मैं जाग गया,
अपने आस पास के लोगों को पहले सा ही देखकर घबरा गया,
सोचता हूँ काश वो सपने सच हो जाते,
मेरे सारे ख्वाब हकीकत बन जाते।।
BhaskarSingh
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