White जाने कहाँ गए वो दिन, ज़ब हमारी दोस्ती के चर्चे थे,
दो जिस्म एक जान थे हम, जहां में छपे इसके पर्चे थे,
दिल गुम था, जीवन की, उन प्यार भरी रंगरलियो में,
अब ढूंढता है दिल तुम्हें, उन वीरान हुई सी गलियों में,
दोस्ती ही जिंदगी थी, तुम्हारी दोस्ती मेरा गुरुर थी,
मेरे दिल का करार थी वो,और आँखों का मेरी नूर थी,
अब तुम नहीं हो तो, कोई और साथ नहीं दिखता,
जो थाम ले ग़म में आकर, मुझे वो हाथ नहीं दिखता,
लौट आओ अल्हड़पन के, उसी घर उसी आँगन में,
फिर हंसी ठिठौली करते है, उसी कॉलिज के प्रांगण में।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
#sad_shayari @aditya @Gyanendra Kukku Pandey @vineetapanchal भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @Anshu writer @Sunita Pathania कविताएं