दया है मूल धर्म का ,भ्रम को तोड़ दो यारों, करो बाते | हिंदी शायरी

"दया है मूल धर्म का ,भ्रम को तोड़ दो यारों, करो बातें मुहब्बत की,सभी को जोड़ दो यारों, सेवा और मानवता के रस्ते हैं बहुत सारे, ख़रीदो कैद पिंजरे में ,परिंदे छोड़ दो यारों। ©Krishan Gopal Solanki"

 दया है मूल धर्म का ,भ्रम को तोड़ दो यारों,
करो बातें मुहब्बत की,सभी को जोड़ दो यारों,
सेवा और मानवता के रस्ते हैं बहुत सारे,
ख़रीदो कैद पिंजरे में ,परिंदे छोड़ दो यारों।

©Krishan Gopal Solanki

दया है मूल धर्म का ,भ्रम को तोड़ दो यारों, करो बातें मुहब्बत की,सभी को जोड़ दो यारों, सेवा और मानवता के रस्ते हैं बहुत सारे, ख़रीदो कैद पिंजरे में ,परिंदे छोड़ दो यारों। ©Krishan Gopal Solanki

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