गम घटता और बढ़ता रहता है चाँद के जैसे और उदासियाँ | English Quotes

"गम घटता और बढ़ता रहता है चाँद के जैसे और उदासियाँ बादल सी घिर आती है। दर्द की एक लक कहकशां सी माथे पर छा जाती है और आँख से बरस जाते है वो बदलते सारे चेहरे। ©Tarique Sayeed Usmani"

 गम घटता और बढ़ता रहता है चाँद के 
जैसे और उदासियाँ बादल सी घिर आती 
है। दर्द की एक लक कहकशां सी माथे 
पर छा जाती है और आँख से बरस जाते 
है वो बदलते सारे चेहरे।

©Tarique Sayeed Usmani

गम घटता और बढ़ता रहता है चाँद के जैसे और उदासियाँ बादल सी घिर आती है। दर्द की एक लक कहकशां सी माथे पर छा जाती है और आँख से बरस जाते है वो बदलते सारे चेहरे। ©Tarique Sayeed Usmani

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