*शिखा जिसकी धरोहर है* *तिलक से जो अलंकृत है* *चमकत | हिंदी कविता

"*शिखा जिसकी धरोहर है* *तिलक से जो अलंकृत है* *चमकता भाल दिनकर सा* *जो अपराधों से वंचित है* *जो शंभू सा विनाशी है* *जो विष्णु सा हृदय कोमल* *है जिसमें तेज ब्रह्मा का* *वो ब्राह्मण सर्व वंदित है।* ©JitendraChaturvadi"

 *शिखा जिसकी धरोहर है*
*तिलक से जो अलंकृत है*
*चमकता भाल दिनकर सा*
*जो अपराधों से वंचित है*
*जो शंभू सा विनाशी है*
*जो विष्णु सा हृदय कोमल*
*है जिसमें तेज ब्रह्मा का*
*वो ब्राह्मण सर्व वंदित है।*

©JitendraChaturvadi

*शिखा जिसकी धरोहर है* *तिलक से जो अलंकृत है* *चमकता भाल दिनकर सा* *जो अपराधों से वंचित है* *जो शंभू सा विनाशी है* *जो विष्णु सा हृदय कोमल* *है जिसमें तेज ब्रह्मा का* *वो ब्राह्मण सर्व वंदित है।* ©JitendraChaturvadi

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