भले कितनी मुसीवत हो मगर धीरज नहीं खोना , किसी

"भले कितनी मुसीवत हो मगर धीरज नहीं खोना , किसी की राह में साथी कभी काँटे नहीं बोना , कभी कुछ अटपटा बोलूँ मुझे दो बात कह देना , यही है आरजू मेरी कभी नाराज मत होना ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant"

 भले कितनी  मुसीवत हो
मगर  धीरज  नहीं खोना ,
किसी  की  राह में साथी
कभी   काँटे  नहीं  बोना ,
कभी कुछ अटपटा बोलूँ 
मुझे  दो  बात  कह  देना ,
यही    है    आरजू   मेरी 
कभी  नाराज  मत होना !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant

भले कितनी मुसीवत हो मगर धीरज नहीं खोना , किसी की राह में साथी कभी काँटे नहीं बोना , कभी कुछ अटपटा बोलूँ मुझे दो बात कह देना , यही है आरजू मेरी कभी नाराज मत होना ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant

कविता

#Darknight

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