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Poet
भले कितनी मुसीवत हो मगर धीरज नहीं खोना , किसी की राह में साथी कभी काँटे नहीं बोना , कभी कुछ अटपटा बोलूँ मुझे दो बात कह देना , यही है आरजू मेरी कभी नाराज मत होना ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
Ramshlok Sharma Ashant
10 Love
सौ मन घृत तुम भले लगा दो टेढ़े हो जाते हैं , सड़ी लाश को कंधे पर रख बदबू फैलाते हैं , कुछ पप्पु , टीपू सा होते हैं मतिमंद भिखारी , कितने जूते मारो लेकिन नहीं सुधर पाते हैं ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
9 Love
विज्ञ है इंसान वह तोता नहीं है , जो सजग है धैर्य वो खोता नहीं है , बेवफ़ाई तो सहन करते रहा हूँ , प्यार अब मुझसे सहन होता नहीं है ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
पुष्प - माल से जो मिलता सच्चा सम्मान नहीं है , अगर भरोसा है खुद पर तो यह अभिमान नहीं है , हर अंतर में महाज्ञान का निर्झर श्रोत मचलता , जो ग्रन्थों में लिखा हुआ वह सच्चा ज्ञान नहीं है ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
कभी बंजर धरा पर भी कुसुम कुछ मुस्कुराते हैं , किए उपकार को कुछ लोग अक्सर भूल जाते हैं , कहीं जीवन - कहानी में अनेकों मोड़ मिलते हैं , कभी मन के समंदर में सितारे डूब जाते हैं ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
8 Love
गुलशन में हैं फूल खिले भँवरे करते मनमानी , और बगल में बहती नदिया कल-कल बहता पानी , आज बाग में लगता कोई नई कली मुस्काई , हवा बसंती की खुशबू तन पर है चूनर धानी ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant
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