ये समय है आत्मबोध का...
कुछ आत्मचिंतन, थोड़े आत्मशोध का
ये समय है आत्मबोध का...
दोहन कर प्रकृति का, निःस्वार्थ उसे क्या दिया ?
हित किया बस स्वयं का, हे मानव ! ये तूने क्या किया ?
तू कर स्मरण, थोड़ा विचार कर, ये समय है अनुबोध का
कुछ आत्मचिंतन, थोड़े आत्मशोध का
मत समझ के तू है ख़ुदा, बस इक यही तेरी भूल है
तू कण मात्र है सृष्टि का, शामिल इसी में तेरा मूल है
अब चक्षु खोल, निंद्रा से उठ, ये समय है प्रबोध का
कुछ आत्मचिंतन, थोड़े आत्मशोध का
मानव जीवन के अस्तित्व की, ये जो अंधी दौड़ है,
है व्यर्थ का संघर्ष ये, अपनों से भला कैसी होड़ है,
अपने चित्त को अब साध तू , ये समय है अंतर्बोध का
कुछ आत्मचिंतन, थोड़े आत्मशोध का
मिल ख़ुद से तू और बात कर,थोड़ा ख़ुद को भी तू जान ले,
करके थोड़ा आत्ममंथन, अपनी त्रुटियों को मान ले,
क्या किया सही, क्या था ग़लत, ये समय है स्वयं के बोध का
कुछ आत्मचिंतन, थोड़े आत्मशोध का
ये समय है आत्मबोध का...ये समय है आत्मबोध का...
-© अमित पाराशर 'सरल'
#आत्मबोध