White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 7) मे आपका स्वागत है!
अचानक प्रभा की आवाज - नंदू के मरुस्थलीय सपनों का दीवार चूर चूर कर देती है!
प्रभा- नंदू तुम्हें उसी वक्त बोली थी एक सलाई लेकर आओ लेकिन तुम तो तारे गिनने में व्यस्त हो!
जल्दी जाओ दुकान बंद हो जाएगा!
नंदू- ना चाहते हुए भी अपने बोझील शरीर को धरती से सहारा लेकर उठता है, जैसे कोई वृद्ध व्यक्ति हो,
नंदू- अपने मां से जो जला कटा शब्द सुना था,वही सब दुकान में जाकर उतारता है!
नंदू दुकानदार से-सलीम भाई ,ओ सलीम भाई,
सलीम खिड़की पे आकर - क्या हुआ नंदू क्यों चींख रहे हो,
नंदू- यैसे क्योंअकड़ रहे हो ये लो पैसा एक सलाई दो
और इतना आंकड़ा मत करो कोई फ्री में समान नहीं दे रहे हो
(इसी तरह दोनों में बहस छिड़ जाती है)
©writer Ramu kumar
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