"“महोदय...,
साश्वत नही है कोई सभी को जाना हैं |
फिर भी मोहक मोदक सब को खाना हैं |
आसन पर ग्रहण लगा कर केतु बैठे हैं,
जो भी करो सिंहासन राम को पाना है ||”"
“महोदय...,
साश्वत नही है कोई सभी को जाना हैं |
फिर भी मोहक मोदक सब को खाना हैं |
आसन पर ग्रहण लगा कर केतु बैठे हैं,
जो भी करो सिंहासन राम को पाना है ||”