मेहंदी के रचने का भी इंतजार नहीं करता नए दौर का इ | हिंदी शायरी

"मेहंदी के रचने का भी इंतजार नहीं करता नए दौर का इश्क रिवाज़ो से वास्ता नहीं रखता सास का बहु सरीखा सम्मान रह गया अखरता बेबी शोना के हुक्म पर देखा परिवार चलता पास पड़ोस में गौरतलब दिखीं बातें कई दूर से दिखती वो नजदीकी में राहतें नहीं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 मेहंदी के रचने का भी इंतजार नहीं करता 
नए दौर का इश्क रिवाज़ो से वास्ता नहीं रखता 
सास का बहु  सरीखा सम्मान रह गया अखरता 
बेबी शोना के हुक्म पर देखा परिवार चलता 
पास पड़ोस में गौरतलब दिखीं बातें कई
दूर से दिखती वो नजदीकी में राहतें नहीं 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

मेहंदी के रचने का भी इंतजार नहीं करता नए दौर का इश्क रिवाज़ो से वास्ता नहीं रखता सास का बहु सरीखा सम्मान रह गया अखरता बेबी शोना के हुक्म पर देखा परिवार चलता पास पड़ोस में गौरतलब दिखीं बातें कई दूर से दिखती वो नजदीकी में राहतें नहीं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

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