sunset nature महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं हम एक सदम | हिंदी Shayari

"sunset nature महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं कहां सोया है चौकीदार मेरा ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं - Tehzeeb Hafi ©Kabir Thakur"

 sunset nature महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं
हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं

तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं
अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं

कहां सोया है चौकीदार मेरा
ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं


- Tehzeeb Hafi

©Kabir Thakur

sunset nature महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं कहां सोया है चौकीदार मेरा ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं - Tehzeeb Hafi ©Kabir Thakur

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