मन को प्रेम-रोग लगाए बैठे है , सुहाने सपने भी सजाए | हिंदी Shayari

"मन को प्रेम-रोग लगाए बैठे है , सुहाने सपने भी सजाए बैठे है। ©आराधना ( अनुशीर्षक में पढ़े )"

 मन को प्रेम-रोग लगाए बैठे है ,
सुहाने सपने भी सजाए बैठे है। 
©आराधना 
( अनुशीर्षक में पढ़े )

मन को प्रेम-रोग लगाए बैठे है , सुहाने सपने भी सजाए बैठे है। ©आराधना ( अनुशीर्षक में पढ़े )

मन को प्रेम-रोग लगाए बैठे है ,
सुहाने सपने भी सजाए बैठे है।

शाम होने को है तुम्हारे इंतेज़ार में ,
किवाड़ पर पलकें बिछाए बैठे है।

प्रियतम प्रेम में तेरे सुध-बुध खो के ,
हम अपनी जान भी गवाएँ बैठे है।

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