नल के आंसू
भरी दुपहरी में प्यास के कारण मैं नल से लेकर पानी पीने लगा। पानी बहुत ज्यादा खारा था। मैंने नल से पूछा भाई क्या बात आज इतना खाना पानी क्यों दे रहे हो। क्या कोई परेशानी तो नहीं तुम्हें। नल ने कहा मेरी परेशानी को सुनता ही कौन है। मैंने कहा अरे मैं हूं ना यार मेरे को बता क्या समस्या है तेरी, कहीं नीचे तेरी पाइप में कोई लिकीज तो नहीं, या तेरी वाल तो खराब नहीं हो गयी।
नल ने गुस्से और वेदना के साथ कहां, मैं तो चिल्लाता रहा मत पानी बर्बाद करो लेकिन तुम......, तुम कहां मेरी सुनने वाले थे, मेरे पानी को अंधाधुन और अनावश्यक बहाते गए। पानी तो मेरे पास है नहीं, ये आंसू बचे है, इनसे प्यास बुझाओ या बर्बाद करो वह तुम्हारी मर्जी।
लेखक - नवीन पाल इन्सां
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