कदम बढ़ाओ करीब तर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। बस | हिंदी शायरी

"कदम बढ़ाओ करीब तर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। बस इक कदम की ही दूरी पर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। चले कहां से कहां खड़े हो, पलट पलट कर ना पीछे देखो, बढ़ो अगरचे पुर खतर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। ना अपने पांव के छाले देखो, अंधेरे और ना उजाले देखो, बहुत ही मुश्किल सफर अगर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। तुम खुद ही अपनी मिसाल तुम हो, जवाब तुम हो सवाल तुम हो तुम्हारे आगे फकत सिफर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। वो 'कोहकन' भी दफन है तुझ में, और 'क़ैस' भी है मगन तुझी में, शीरीं व लैला का दर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। किसी का तख्त ओ ताज देखो हकीकत और न मजाज देखो, तुम्हारा तख्त ओ ताज ओ सर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। ©Nadeem Sarwar"

 कदम बढ़ाओ करीब तर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
बस इक कदम की ही दूरी पर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
चले कहां से कहां खड़े हो, पलट पलट कर ना पीछे देखो,
 बढ़ो अगरचे पुर खतर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
 ना अपने पांव के छाले देखो, अंधेरे और ना उजाले देखो,
बहुत ही मुश्किल सफर अगर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
तुम खुद ही अपनी मिसाल तुम हो, जवाब तुम हो सवाल तुम हो
तुम्हारे आगे फकत सिफर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
वो 'कोहकन' भी दफन है तुझ में, और 'क़ैस' भी है मगन तुझी में,
शीरीं व लैला का दर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।
किसी का तख्त ओ ताज देखो हकीकत और न मजाज देखो,
तुम्हारा तख्त ओ ताज ओ सर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ।

©Nadeem Sarwar

कदम बढ़ाओ करीब तर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। बस इक कदम की ही दूरी पर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। चले कहां से कहां खड़े हो, पलट पलट कर ना पीछे देखो, बढ़ो अगरचे पुर खतर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। ना अपने पांव के छाले देखो, अंधेरे और ना उजाले देखो, बहुत ही मुश्किल सफर अगर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। तुम खुद ही अपनी मिसाल तुम हो, जवाब तुम हो सवाल तुम हो तुम्हारे आगे फकत सिफर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। वो 'कोहकन' भी दफन है तुझ में, और 'क़ैस' भी है मगन तुझी में, शीरीं व लैला का दर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। किसी का तख्त ओ ताज देखो हकीकत और न मजाज देखो, तुम्हारा तख्त ओ ताज ओ सर है तुम्हारी मंजिल कदम बढ़ाओ। ©Nadeem Sarwar

#दीवान-ए-शौक़

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