नया जमाना पुराने जमाने से अलग नहीं है , क्यों कि इ | हिंदी कविता

"नया जमाना पुराने जमाने से अलग नहीं है , क्यों कि इंसान के मनों में रावण अब भी वही है ।। पापाचार और दुरचार से काँप रही ये धरा है , हाँ दुष्टों को पता है अब वह त्रेता के राम नहीं हैं ।। कहने को आजाद है नारी सशक्तिकरण की चहुँ ओर हुँकार है , फिर क्यों द्रोपदी दुशासन के हाँथों से अब भी रिहा नहीं हैं ।। ©Kumar.vikash18"

 नया जमाना पुराने जमाने से अलग नहीं
है ,
क्यों कि इंसान के मनों में रावण अब भी
वही है ।।
पापाचार और दुरचार से काँप रही ये
धरा है ,
हाँ दुष्टों को पता है अब वह त्रेता के राम
नहीं हैं ।।
कहने को आजाद है नारी सशक्तिकरण
की चहुँ ओर हुँकार है ,
फिर क्यों द्रोपदी दुशासन के हाँथों से
अब भी रिहा नहीं हैं ।।

©Kumar.vikash18

नया जमाना पुराने जमाने से अलग नहीं है , क्यों कि इंसान के मनों में रावण अब भी वही है ।। पापाचार और दुरचार से काँप रही ये धरा है , हाँ दुष्टों को पता है अब वह त्रेता के राम नहीं हैं ।। कहने को आजाद है नारी सशक्तिकरण की चहुँ ओर हुँकार है , फिर क्यों द्रोपदी दुशासन के हाँथों से अब भी रिहा नहीं हैं ।। ©Kumar.vikash18

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