मेरी हंसी के पीछे दर्द की एक लंबी दास्तान रही हैं | हिंदी कविता

"मेरी हंसी के पीछे दर्द की एक लंबी दास्तान रही हैं न कभी वो अपने समझे न कभी वो समझे जिन्हें अपना समझा मैंने एक शहर हैं जिसे मैं समझा की वो तो हैं मेरा वो शहर इतने सालों दूर रख कर फिर यही कहता हैं कि बता इस शहर में हैं कौन तेरा जो तूने मुझे अपना समझ लिया ©YashMehta"

 मेरी हंसी के पीछे दर्द की एक लंबी दास्तान रही हैं
न कभी वो अपने समझे
न कभी वो समझे जिन्हें अपना समझा मैंने
एक शहर हैं जिसे मैं समझा की वो तो हैं मेरा
वो शहर इतने सालों दूर रख कर फिर यही कहता हैं
कि बता इस शहर में हैं कौन तेरा
जो तूने मुझे अपना समझ लिया

©YashMehta

मेरी हंसी के पीछे दर्द की एक लंबी दास्तान रही हैं न कभी वो अपने समझे न कभी वो समझे जिन्हें अपना समझा मैंने एक शहर हैं जिसे मैं समझा की वो तो हैं मेरा वो शहर इतने सालों दूर रख कर फिर यही कहता हैं कि बता इस शहर में हैं कौन तेरा जो तूने मुझे अपना समझ लिया ©YashMehta

#AloneInCity

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