जिधर नजर आए प्रकाश उधर बहलता है, अंधेरी गलियों में | हिंदी शायरी
"जिधर नजर आए प्रकाश उधर बहलता है,
अंधेरी गलियों में मन छलिया कहां ठहरता है,
एक जगह ठहरे मन जिसका वह खुशनसीब होते हैं,
अकेला रहने वाला व्यक्ति हमेशा चाहकता है"
जिधर नजर आए प्रकाश उधर बहलता है,
अंधेरी गलियों में मन छलिया कहां ठहरता है,
एक जगह ठहरे मन जिसका वह खुशनसीब होते हैं,
अकेला रहने वाला व्यक्ति हमेशा चाहकता है