एक दिन उसने किसी अपने से व्यथित होकर मुझसे पूछा,
अब किससे उम्मीद करें? बुढ़ापे में कोई सहारा नहीं दिखता l
मैंने उसे समझाते हुए कहा, जब स्वम अपना शरीर साथ छोड़ देता है तो किसी और से उम्मीद करना बेमानी है,
इक दिन सब मिट जायेगा जिंदगी तेरी यही कहानी है,,,,,,,
©Rajesh rajak
जिंदगी और बुढ़ापा