सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ तू

"सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ तेरी वादाखिलाफी और तेरा ये शरारती प्यार शाम की फोन कॉल पर फ़िजूली बातों का अंबार रूठना मनाना इतराना ये अब तेरी खूबसूरती की कलियां है। इसलिये हर मरतबा मैं तुझे चिढ़ाता रहता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। कुछ बातें है जो तुझे अलग बनाती है। तुझ में रहकर वो तुझे ही सजाती है। इश्क़ मोहब्बत से मेरा मसवरा नही मेरा दोस्ती के महफ़िल* से इनको दूर ही रखता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ ये दोस्ती के फूल बिना बीज के खिले है खुशबू बनी रहे इनकी मैं बफादारी का पानी देता रहता हूं। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।। एक दिन फूल सूख जाएंगे,खुशबू उड़ जायेगी वक़्त की डोर तुझे मुझसे खिंच ले जायेगी जब मिलने की उम्मीदें मर चुकी होगी तब मिलेगी एक अनजाने शहर में एक अनजाने के साथ तब फिर से नए फूल खिलेंगे,पुरानी यादों के तब कुछ पन्ने खुलेंगे। ये सब मैं अक्सर रातों में सोचता रहता हूँ। क्योंकि तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। ©Saurabh Yadav"

 सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ
तेरी वादाखिलाफी और तेरा ये शरारती प्यार
शाम की फोन कॉल पर फ़िजूली बातों का अंबार
रूठना मनाना इतराना ये अब तेरी खूबसूरती की कलियां है।
इसलिये हर मरतबा मैं तुझे चिढ़ाता रहता हूँ। 
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।

कुछ बातें है जो तुझे अलग बनाती है।
तुझ में रहकर वो तुझे ही सजाती है।
इश्क़ मोहब्बत से मेरा मसवरा नही मेरा
दोस्ती के महफ़िल* से इनको दूर ही रखता हूँ।
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ

ये दोस्ती के फूल बिना बीज के खिले है
खुशबू बनी रहे इनकी मैं बफादारी का पानी देता रहता हूं।
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।।

एक दिन फूल सूख जाएंगे,खुशबू उड़ जायेगी
वक़्त की डोर तुझे मुझसे खिंच ले जायेगी
जब मिलने की उम्मीदें मर चुकी होगी
 तब मिलेगी एक अनजाने शहर में एक अनजाने के साथ
तब फिर से नए फूल खिलेंगे,पुरानी यादों के तब कुछ पन्ने खुलेंगे।
ये सब मैं अक्सर रातों में सोचता रहता हूँ। क्योंकि
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।

©Saurabh Yadav

सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ तेरी वादाखिलाफी और तेरा ये शरारती प्यार शाम की फोन कॉल पर फ़िजूली बातों का अंबार रूठना मनाना इतराना ये अब तेरी खूबसूरती की कलियां है। इसलिये हर मरतबा मैं तुझे चिढ़ाता रहता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। कुछ बातें है जो तुझे अलग बनाती है। तुझ में रहकर वो तुझे ही सजाती है। इश्क़ मोहब्बत से मेरा मसवरा नही मेरा दोस्ती के महफ़िल* से इनको दूर ही रखता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ ये दोस्ती के फूल बिना बीज के खिले है खुशबू बनी रहे इनकी मैं बफादारी का पानी देता रहता हूं। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।। एक दिन फूल सूख जाएंगे,खुशबू उड़ जायेगी वक़्त की डोर तुझे मुझसे खिंच ले जायेगी जब मिलने की उम्मीदें मर चुकी होगी तब मिलेगी एक अनजाने शहर में एक अनजाने के साथ तब फिर से नए फूल खिलेंगे,पुरानी यादों के तब कुछ पन्ने खुलेंगे। ये सब मैं अक्सर रातों में सोचता रहता हूँ। क्योंकि तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। ©Saurabh Yadav

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